युवा फालतू फोन से छुटकारा पाएं और भारत को अमीर बनाएं


 

प्रिय मित्रो , मैं नहीं जानता कि एक बड़े समाचार पत्र में प्रकाशित होने के बावजूद , यह पत्र आप तक पहुंचेगा या नहीं । आपमें से तमाम लोग फोन पर बात करने , वीडियो देखने , चैटिंग , सोशल मीडिया पर कमेंट या सिर्फ सुंदर सेलेबिटीज की फीड देखने में व्यस्त होंगे , क्योंकि किसी आर्टिकल को पढ़ना आपकी प्राथमिकता में बहुत नीचे है । हालांकि , अगर आपको इसे पढ़ने का मौका मिल जाए तो कृपया पूरा पढ़ें । आप फोन पर अपनी जिंदगी को बर्बाद कर रहे हो । हां , आप भारत के इतिहास की पहली युवा पीढ़ी हो , जिसे स्मार्टफोन व सस्ता डेटा उपलब्ध है और आप हर दिन घंटों इस पर बिता रहे हो । अपना स्क्रीन टाइम देखें , जो युवाओं के लिए अक्सर औसत 5-7 घंटे है । रिटायर अथवा स्थापित लोग अपने गैजेट्स पर इतना समय व्यतीत कर सकते हैं । एक युवा , जिसे अभी अपनी जिंदगी बनानी है , वह ऐसा नहीं कर सकता । पांच घंटे आपके उत्पादकता वाले कामकाजी समय का एक तिहाई है । फोन की लत आपकी जिंदगी का एक हिस्सा खा रही है । यह कॅरिअर की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रही है और दिमाग खराब कर रही है । अगर ऐसा ही चलता रहा था तो आपकी पीढ़ी 4Gotten generation ( भूली हुई पीढ़ी ) बन जाएगी , यानी एक पूरी पीढ़ी जिसे 4G की लत है , जो लक्ष्यहीन है और देश के बारे में अनभिज्ञ है । फोन की लत के यह तीन टॉप नकारात्मक प्रभाव हैं पहला , निश्चित ही यह समय की बर्बादी है , जिसका इस्तेमाल जीवन में अधिक उत्पादक चीजें पर हो सकता है । फोन पर लगने वाले तीन घंटे बचाकर उन्हें फिटनेस , कुछ सीखने , पढ़ने , अच्छी नौकरी तलाशने , बिजनेस खोलने में इस्तेमाल कर सकते हैं । दूसरे , फिजूल कंटेंट देखने से आपका समझ संबंधी दिमाग कमजोर होता है । दिमाग के दो क्षेत्र होते हैं- ज्ञान ( समझ ) संबंधी और भावनात्मक । एक अच्छा दिमाग वह है , जिसमें दोनों अच्छे से काम करते हैं । जब आप कबाड़ देखते हैं तो ज्ञान संबंधी दिमाग कम इस्तेमाल होता है । जल्द ही आपकी सोचने व तर्क सहित बहस की क्षमता कम हो जाती है । आप किसी बात के गुण - दोष देखने व सही फैसले में विफल होने लगते हैं । आप सिर्फ भावनात्मक दिमाग से काम करते हैं । सोशल मीडिया पर स्थायी गुस्सा , ध्रुवीकरण , किसी सेलेबिटी या राजनेता के धुर प्रशंसक या उससे घृणा और किसी टीवी एंकर की लोकप्रियता , ये सभी उस पीढ़ी की ओर इशारा करते हैं , जिसका नियंत्रण भावनात्मक दिमाग के हाथ में है । इसलिए वे जिंदगी में अच्छा नहीं कर पाते । इससे बचने का एक ही तरीका है कि अपने दिमाग को सुन्न न होने दें और उसे उत्पादक कामों में लगाए रखें । तीसरा , स्क्रीन पर कई घंटे बिताने से मनोबल व ऊर्जा का क्षय होता है । जिंदगी में सफलता लक्ष्य निर्धारित करने , प्रेरित रहने और मेहनत से मिलती है । जबकि स्क्रीन देखना आलसी बनाता है । आप में विफलता का डर बैठ जाता है , क्योंकि आपको भरोसा नहीं होता कि आप काम कर सकते हैं । इसलिए आप कारण तलाशने लगते हैं कि जिंदगी में सफलता क्यों नहीं मिली । आप दुश्मन तलाशने लगते हैं आज के बुरे नेता , पुराने बुरे नेता , मुस्लिम , बॉलीवुड और उसका भाई - भतीजावाद , अमीर , प्रसिद्ध लोग या कोई और विलेन जिसकी वजह से आपकी जिंदगी वह नहीं हो सकी जो हो सकती थी । हाँ , सिस्टम अन्यायपूर्ण है । लेकिन सोशल मीडिया पर समय बर्बाद करने से मदद नहीं मिलेगी । अपने ऊपर काम करने से मिलेगी । क्या आप अपना अधिकतम कर रहे हैं ? इस फोन को तब तक खुद से दूर रखें जब तक कुछ बन नहीं जाते । विजेता अन्याय के खिलाफ भी रास्ता निकाल लेते हैं । आप भी निकाल सकते हैं ।

 $*क्या आपको कॅरिअर पर फोकस करना चाहिए या कभी खत्म न होने वाले हिंदू - मुस्लिम मुद्दों पर ? आप अच्छी जिंदगी बनाना चाहते हैं या बॉलीवुड की साजिशों को हल करना*$ ? यह आप पर है कि आप भारत को कहां ले जाना चाहते हैं । उस पीढ़ी के बारे में सोचें जिसने हमें आजादी दिलाई । मुझे आज भी मंडल कमीशन का विरोध या 2011 का अन्ना आंदोलन याद है । युवा राष्ट्रीय मुद्दों की परवाह करता था । क्या आज का युवा इस बात की परवाह करता है कि हमें असल में क्या प्रभावित कर रहा है ? या फिर वह किसी सनसनीखेज समाचार पर भावनात्मक प्रतिक्रिया करता है ? सबसे जरूरी है अर्थव्यवस्था को फिर उठाना । क्या हम उस पर फोकस कर रहे हैं ? या हमें एक ऐसे विज्ञापन पर गुस्सा होना चाहिए , जिसमें कोई अंतरधार्मिक जोड़ा दिखाया जाता है । आप आज के युवा हैं और आपको इन सवालों के जवाब तय करने हैं । आप खुद को , इस देश को वहां ले जाएं , जहां आप जाना चाहते हैं । भारत को गरीब और घमंडी बनाने का लक्ष्य न रखें । भारत और खुद को अमीर और सौम्य बनाने का लक्ष्य रखें । इस फालतू फोन से छुटकारा पाएं और दिमाग को उत्पादक और रचनात्मक चीजों में व्यस्त करें । देश को बनाने वाली पीढ़ी बनें । ( generation that 4Ges India ahead ) एक 4Gotten पीढ़ी की तरह खत्म न हों 

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