आने वाले 10/15 साल में एक पीढ़ी, संसार छोड़ कर जाने वाली हैं।
कड़वा है, लेकिन सत्य है।
इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं...
रात को जल्दी सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले,भोर में घूमने निकलने वाले।
आंगन की तुलसी और पौधों को पानी देने वाले, देवपूजा के लिए नई नस्ल को डांटने वाले, प्रतिदिन पैदल मंदिर जाने वाले, गुरु महाराज मंदिर में भजनों का रस घोलने वाले।
रास्ते में मिलने वालों से राम राम करने वाले, उनका सुख दु:ख पूछने वाले, सिर पे हाथ फेर आशीष देने वाले, पूजा होये बगैर अन्नग्रहण न करने वाले।
उनका अजीब सा संसार......
तीज त्यौहार, शिल सातम, मेहमान शिष्टाचार, अन्न, धान्य, सब्जी, भाजी की चिंता, तीर्थयात्रा, रीति रिवाज, चौपाल में सनातन धर्म के इर्द गिर्द घूमने वाले।
पुराने फोन पे ही मोहित, फोन नंबर की डायरियां मेंटेन करने वाले, रॉन्ग नम्बर से भी बात कर लेने वाले, समाचार पत्र को दिन भर में दो-तीन बार पढ़ने वाले।
सिर पर साफा, तन पर सफेद कमीज़ धोती, कानों में मुरकिया, जागरणों के शौकीन।
हमेशा एकादशी याद रखने वाले, अमावस्या और पूर्णिमा पर दान पुण्य करने वाले, समाधियों पर प्रचंड विश्वास रखनेवाले, समाज का डर पालने वाले, पुरानी चप्पल, बनियान, चश्मे वाले।
गर्मियों में खेत खलिहान गुलजार करने वाले, बारिश जमाने की बात करने वाले, मैहजाल की सलाह देने वाले, नाथजी, मंचाराम जी और गोपालराम जी महाराज के चमत्कारों के प्रत्यक्ष दृष्टा, हर रोग का घरेलू उपचार जानने वाले, सिमडी, मतीरा, ग्वारफली और मूली में साग भाजी ढूंढने वाले।
क्या आप जानते हैं.....
ये सभी लोग धीरे धीरे, हमारा साथ छोड़ के जा रहे हैं।
क्या आपके घर में भी ऐसा कोई है? यदि हाँ, तो उनका बेहद ख्याल रखें।
अन्यथा एक महत्वपूर्ण सीख, उनके साथ ही चली जायेगी.....वो है, संतोषी जीवन, सादगीपूर्ण जीवन, प्रेरणा देने वाला। जीवन, मिलावट और बनावट रहित जीवन, धर्म सम्मत मार्ग पर चलने वाला जीवन और सबकी फिक्र करने वाला आत्मीय जीवन। अध्यात्म से प्रभावित मार्मिक जीवन। याद रखिए.............
संस्कार ही
अपराध रोक सकते हैं
सरकार नहीं !
🌞
कड़वा है, लेकिन सत्य है।
इस पीढ़ी के लोग बिलकुल अलग ही हैं...
रात को जल्दी सोने वाले, सुबह जल्दी जागने वाले,भोर में घूमने निकलने वाले।
आंगन की तुलसी और पौधों को पानी देने वाले, देवपूजा के लिए नई नस्ल को डांटने वाले, प्रतिदिन पैदल मंदिर जाने वाले, गुरु महाराज मंदिर में भजनों का रस घोलने वाले।
रास्ते में मिलने वालों से राम राम करने वाले, उनका सुख दु:ख पूछने वाले, सिर पे हाथ फेर आशीष देने वाले, पूजा होये बगैर अन्नग्रहण न करने वाले।
उनका अजीब सा संसार......
तीज त्यौहार, शिल सातम, मेहमान शिष्टाचार, अन्न, धान्य, सब्जी, भाजी की चिंता, तीर्थयात्रा, रीति रिवाज, चौपाल में सनातन धर्म के इर्द गिर्द घूमने वाले।
पुराने फोन पे ही मोहित, फोन नंबर की डायरियां मेंटेन करने वाले, रॉन्ग नम्बर से भी बात कर लेने वाले, समाचार पत्र को दिन भर में दो-तीन बार पढ़ने वाले।
सिर पर साफा, तन पर सफेद कमीज़ धोती, कानों में मुरकिया, जागरणों के शौकीन।
हमेशा एकादशी याद रखने वाले, अमावस्या और पूर्णिमा पर दान पुण्य करने वाले, समाधियों पर प्रचंड विश्वास रखनेवाले, समाज का डर पालने वाले, पुरानी चप्पल, बनियान, चश्मे वाले।
गर्मियों में खेत खलिहान गुलजार करने वाले, बारिश जमाने की बात करने वाले, मैहजाल की सलाह देने वाले, नाथजी, मंचाराम जी और गोपालराम जी महाराज के चमत्कारों के प्रत्यक्ष दृष्टा, हर रोग का घरेलू उपचार जानने वाले, सिमडी, मतीरा, ग्वारफली और मूली में साग भाजी ढूंढने वाले।
क्या आप जानते हैं.....
ये सभी लोग धीरे धीरे, हमारा साथ छोड़ के जा रहे हैं।
क्या आपके घर में भी ऐसा कोई है? यदि हाँ, तो उनका बेहद ख्याल रखें।
अन्यथा एक महत्वपूर्ण सीख, उनके साथ ही चली जायेगी.....वो है, संतोषी जीवन, सादगीपूर्ण जीवन, प्रेरणा देने वाला। जीवन, मिलावट और बनावट रहित जीवन, धर्म सम्मत मार्ग पर चलने वाला जीवन और सबकी फिक्र करने वाला आत्मीय जीवन। अध्यात्म से प्रभावित मार्मिक जीवन। याद रखिए.............
संस्कार ही
अपराध रोक सकते हैं
सरकार नहीं !
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