मन ही काल-कराल है, यह जीव को नचाता है।

मन ही काल-कराल है।
यह जीव को नचाता है। सुंदर स्त्री को देखकर
उससे भोग-विलास करने की गाडी उमंग मन में उठाता है। स्त्री भोगकर आनन्द मन
(काल निरंजन) ने लिया, पाप जीव के सिर रख दिया।
{वर्तमान में सरकार ने सख्त कानून बना रखा है। यदि कोई पुरूष किसी
स्त्री से बलात्कार करता है तो उसको दस वर्ष की सजा होती है। यदि नाबालिक
से बलात्कार करता है तो आजीवन कारागार की सजा होती है। आनन्द दो मिनट
का मन की प्रेरणा से तथा दुःख पहाड़ के समान। इसलिए पहले ही मन को ज्ञान
की लगाम से रोकना हितकारी है।ईसी तरह यह पापी पागल काल रूपी मन
पराये धन को देखकर  उसे हड़पने की प्रेरणा करता है। चोरी कर जीव
को दण्ड दिलाता है। परनिंदा, परधन हड़पना यह पाप है। काल इसी तरह जीव
को कर्मों के बंधन में फंसाकर रखता है। संत से विरोध तथा गुरूद्रोह यह मन रूप
मै काल ही करवाता है जो घोर अपराध है।
ईस तरह मन ही काल है। जीव को अपने जाल मै फसाता है।

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