मैं तो हुई पराई , अब तुम थाम लो भाभी की कलाई

मैं तो हुई पराई , अब तुम थाम लो भाभी की कलाई
" बहुत धूमधाम से विकी भैया की शादी हो गई । रिसेप्शन और सारी रस्म भी हो गईं । बहुत मजा आया , बधाई हो मम्मी आपको " हंसी हंसते हुए दीप्ति ने कहा और सामान पैक करने लगी । "
जमाई जी कह रहे थे तुम लोग कल सवेरे ही निकल लोगे | ये क्या बात हुई बेटा ? कुछ दिन तो रुकना चाहिए ना ? ब्याह शादी के चक्कर में भला तेरे पास बैठ ही नहीं पाई । तेरी पसंद की चीजें भी नहीं खिलाई बनाकर ये क्या ब्याह को 4 दिन हुए और तू निकल ली | तू कहे तो मैं बात करूं " मां ने तोहफों को एक तरफ करते हुए कहा । "
मां , राजीव को फेक्ट्री में जरूरी काम न होता तो मैं जरूर रूकती | जाना जरूरी है इसलिए कल निकल रहे हैं " दीप्ति भारी लहंगे .. संवारने की कोशिश कर रही थी कि मां ने उसे संभाल लिया | शाम को तेरे लिए क्या बनाऊं ? अच्छा वो बादाम वाला हल्वा खाएगी या बेसन वाली पूरियां या हींग वाले तेरे पसंदीदा आलू जल्दी बता क्या बनाऊं ? " मां ने कौतूहल होकर पूछा | "
अरे ! मां अभी शादी के चक्कर में इतने दिन से पकवान ही तो खा रही हूं | आप भी थक गई होंगी | भाभी को भी आराम कर लेने दो | शाम को हल्का - फुल्का मिल कर बना लेंगे " | कहते हुए दीप्ति ने मां को अपने पास बिठा दिया |
आओ बालों से रबर हटाओ कहते हुए दीप्ति ने हथेलियों में तेल लिया और मालिश करने लगी |
" पता है मां , भाभी को देखकर मुझे 7 साल पहले कि अपनी शादी की यादें ताजा हो गईं । जब मैं अपने ससुराल गई थी , बहुत डरी - सहमी सी थी | राजीव हर संभव प्रयास करते मुझे खुश करने का , सहज करने का | मम्मी जी का स्वभाव थोड़ा अलग था | हर चीज को परफेक्ट करना , ना करों तो कभी - कभार डांटना , या सुना देना | वो मुझे और भी सहमा देता | बड़ी ननद निशा दीदी जो कह देती , बस उसे ही बिना यथार्थता जाने कर देना | धीरे - धीरे मुझे इन सब चीजों की आदत होने लगी | कहने को बड़ी बहन की तरह थी निशा दीदी , पर असल में छोटी सास थी | मुझे समझने की बजाए , कुछ और ही ... खैर छोड़ो ।
अब बात ये है कि अब मेरी भाभी आ गई है यानि आपकी बहू । उसके साथ ऐसा कुछ नहीं होने दूंगी । देखो मम्मी मैं 3 दिन से देख रही हूं कि आप हर काम हर चीज मुझसे पूछकर कर रहे हो | मुझे क्या खाना है , कौन - से कपड़े क्या सही , किसका क्या करना चाहिए | वगैरह - वगैरह सब मुझसे पूछ कर ही कर रहे हो | अच्छा है , लेकिन अब भाभी आ गई है , अब आप उनकी कलाई , उनका हाथ पकड़िए , ताकि आप उन्हें अपने साथ लेकर एक सुखद गृहस्थी बना सकें उनके शौक , उनकी पसंद जानने का प्रयास करिए |
मां मैं तो हुई पराई , अब तुम थाम लो भाभी की कलाई । अपनी पसंद , अपने तौर - तरीकों को उनसे साझा करिए | आखिर आपको उन्हीं के साथ रोज रहना है । मेरा क्या है , मैं तो आती जाती रहती हूं । मैं नहीं चाहती जो मैंने महसूस किया वो भाभी करें , बाकि मदर इंडिया आप तो हो ही बेस्ट कहते हुए दीप्ति ने मां को गले लगा लिया |
बिटिया के मुंह से समझदारी वाली बातें सुनकर मां की आंखें भीग आई | उन्हें लगा कि मेरी बिटिया ने कितनी बड़ी और अहम बात उन्हें सीखा दी है , जिसकी तरफ उनका कभी ध्यान ही नहीं गया | वो पूरा प्रयास करेंगी , अच्छी सास बनने का यहीं सोचकर उन्होंने दीप्ति का सिर चूम लिया |
दोस्तों , समय बदल रहा है और आजकल रिश्ते भी बदल रहे हैं । हो सकता है आप लोगों को लगे ऐसा नहीं होता या काल्पनिक है । मगर यह पूरा सच नहीं है ।
वास्तव में कई घरों में अब ननद - भाभी के बीच एक अच्छे और स्वस्थ रिशते देखने को मिलते हैं । कहीं न कहीं आपको भी लगता होगा कि बिटिया दीप्ति द्वारा सोची गई व कहीं गयी बात सत्य |

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