काश यह प्रियंका चोपडा या कैटरीना कैफ होती तो सोशियल मीडिया पर छा जाती
लेकिन जनाब यह तो किसान की बेटी है जिसने भारत का नाम रोशन किया है हैरानी की बात है अधिकतर लोगो को इसकी जानकारी तक नहीं है
धन्य है वह असम का गरीब धान उगाने वाला किसान परिवार जिसने एक दृढ़ संकल्पी खिलाड़ी भारत मां को दिया है ।
जिसके पास सप्लीमेंट और प्रोटीन कभी नहीं थे जो सिर्फ दाल और चावल खाकर उस मुकाम पर पहुंची है
वह कभी स्टेडियम के पक्के ट्रैक पर नहीं दौड़ पाई क्योंकि उसके लिए तो खेतों के कच्चे रास्ते ही उसके सपने और देश के सपने पूरे करने वाले थे।
जिसने जब देश के लिए विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी जब राष्ट्रीय गान चल रहा था । यह आंसू गोल्ड मेडल के नही थे यह आंसू थे भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत के राष्ट्रगान के सम्मान मे ओर अब लगातार भारत का नाम रोशन करती जा रही है सभी तरह की प्रतियोगिता मे भारत को पदक अवश्य दिलाती है अभी हाल ही मे असम बाढ पीड़ितों के लिए अपने पदक की राशी दान कर दी इसे कहते है अपने देश अपने राज्य के प्रति वफादारी
ओर एक तरफ जेएनयू के वो गद्दार जो पता नहीं कौन सी पीएचडी कर रहे हैं और भारत तेरे टुकड़े होंगे ऐसे नारे लगाते हैं ओर राष्ट्रगान के समय खड़े भी नहीं हो सकते उसे देश का मिडिया रातो रात हिरो बना देता है कन्हैया नाम रख देने से जयचंद कृष्ण नही बन सकता है
हिमा दास की हिम्मत दृढ़ संकल्प और शक्ति को पुनः पुनः नमन वह उनके माता-पिता को बारंबार प्रणाम
लेकिन जनाब यह तो किसान की बेटी है जिसने भारत का नाम रोशन किया है हैरानी की बात है अधिकतर लोगो को इसकी जानकारी तक नहीं है
धन्य है वह असम का गरीब धान उगाने वाला किसान परिवार जिसने एक दृढ़ संकल्पी खिलाड़ी भारत मां को दिया है ।
जिसके पास सप्लीमेंट और प्रोटीन कभी नहीं थे जो सिर्फ दाल और चावल खाकर उस मुकाम पर पहुंची है
वह कभी स्टेडियम के पक्के ट्रैक पर नहीं दौड़ पाई क्योंकि उसके लिए तो खेतों के कच्चे रास्ते ही उसके सपने और देश के सपने पूरे करने वाले थे।
जिसने जब देश के लिए विश्व चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता उसकी आंखें आंसुओं से भरी हुई थी जब राष्ट्रीय गान चल रहा था । यह आंसू गोल्ड मेडल के नही थे यह आंसू थे भारत का नाम रोशन करने के लिए भारत के राष्ट्रगान के सम्मान मे ओर अब लगातार भारत का नाम रोशन करती जा रही है सभी तरह की प्रतियोगिता मे भारत को पदक अवश्य दिलाती है अभी हाल ही मे असम बाढ पीड़ितों के लिए अपने पदक की राशी दान कर दी इसे कहते है अपने देश अपने राज्य के प्रति वफादारी
ओर एक तरफ जेएनयू के वो गद्दार जो पता नहीं कौन सी पीएचडी कर रहे हैं और भारत तेरे टुकड़े होंगे ऐसे नारे लगाते हैं ओर राष्ट्रगान के समय खड़े भी नहीं हो सकते उसे देश का मिडिया रातो रात हिरो बना देता है कन्हैया नाम रख देने से जयचंद कृष्ण नही बन सकता है
हिमा दास की हिम्मत दृढ़ संकल्प और शक्ति को पुनः पुनः नमन वह उनके माता-पिता को बारंबार प्रणाम
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